वे चाय भी पीते हैं तो बन जाती है खबर
वक्त वक्त की बात है। मुख्यमंत्री बनने के बाद अशोक गहलोत का चाय पीना भी खबर बन जाता है। एक राष्ट्रीय अखबार ने कल उनके दिल्ली में चाय पीने की खबर प्रकाशित की है। खबर महत्वपूर्ण है। मगर सवाल उठाती है कि अगर देश के तमाम नेताओं और बड़ी हस्तियों के चाय-कॉफी या कोल्ड ड्रिंक पीने पर खबरें छपने लगीं तो अखबारों में बाकी देश के लिए क्या बचेगा?
10 Comments:
एक शेर है
हम आह भी भरते हैं ,तो हो जाते हैं बदनाम
वो कत्ल भी करते हैं , तो चर्चा नहीं होता ।
इसे यूं कहें -
वो चाय भी पीते हैं , बन जाती है खबरे आम
हम भूख से मरते हैं , मगर चर्चा नहीं होता ।
एकतो यह मीडीया स्वयं इस दुष्ट-तन्त्र का सहयोगी,
दूसरे नेताओं की छपास की भूख.
झेलना है जनता को.
लेकिन सिस्टम की इस प्रिय विधा का
अन्तिम वार सिस्टम को ही शेष करेगा.
सांसें जिन्दा रखती है, या
जीवन यात्रा समाप्त करती है!
वो चाय भी पीते हैं , बन जाती है खबरे आम
हम भूख से मरते हैं , मगर चर्चा नहीं होता ।
क्या कहें ऐसे अख़बार वालों को जिनके दिमाग का दिवाला निकल चुका हो !
बाजार ने पत्रकारों को चारण और भाट में बदलकर रख दिया है। अफसोस है। http://chaighar.blogspot.com
चारण भाटों के जमाने में कौन सा बजारबाद था? हमने प्रतिक बना लिए है, हर समस्या के लिए उसे दोष देकर मनन से मुक्त हो जाते है.
यह खबर, मूर्खता और चमचागीरी की हद है.
वो चाय भी पीते हैं , बन जाती है खबरे आम
हम भूख से मरते हैं , मगर चर्चा नहीं होता ।
hamara bhi kuchh yahi vichar hai.......... ye to kahiye ki CHAY PEENE kii khabar hai........... kahin kal ko subah sham ke nitya kriyakalapon kii khabaren bhi na aane lagen? WAH!!! MEDIA
sareetha ji ki baat se sahmat hu
चमचागिरी कि हद है भैय्या
या फिर बिके हुए हैं ले कर रुपया
हे लोकतन्र्त के चौथे स्तंभ
लगता है त्यार हो रही तेरी मृत्यू शैय्या।।
सुशील कुमार पटियाल
Maa Baap Ki Dua Shayari
By Shayari Panda
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