गैंगस्टर जज ने, भरी अदालत में, जेलर की वर्दी उतरवाई!!

आपको शक हो रहा है तो देख लीजिए पुलिस वालों की वर्दी , भरी अदालत में उतरवाने वाले जज साहब की खबर, जागरण के ऑनलाईन संस्करण पर। गलती एक बार हो सकती है, लेकिन तीन-तीन बार?


खबर को तीन दिन हो चुके हैं, लेकिन इस पोस्ट के लिखे जाते तक गलती वैसी की वैसी ही है।
अब तो आप भी भंग की तरंग में आ गये होंगे?
4 Comments:
भाईसाहब,
आपकी समझ में गलती हुई है...
वह न्यायलय ही गंगस्टर है, जिसमे गंगस्टर से संबधित मुकदमे चलते हैं... इसीलिए जागरण की खबर में बार बार जज, न्यायलय और अभियुक्त के नाम के आगे गंगस्टर जोड़ा गया है...
यह कोई गलती नहीं है, जैसे सिविल जज, डिस्ट्रिक्ट जज होता है, वैसे ही गंगस्टर जज भी होता है...
bhai bahut achcha kaam karte ho lekin apni website prabhasakshi ka bhi dhyan rakho. usme london me nilaam honge nehru vur gandhi ke patra me likha hai lister gaytri devi ki putri thi jabki wo uski friend thi thik kar lo
मित्र, कोई भी इंसान गलतियों से पूरी तरह मुक्त नहीं हो सकता। प्रभासाक्षी भी अपवाद नहीं है। इसीलिए हमने अनेक बार इस ब्लॉग पर खुद अपने संस्थान की गलतियों पर भी चर्चा की है। गलतियों पर इतना अपसेट होने की बात नहीं है। उन्हें सकारात्मक ढंग से लेना और एक दूसरे की त्रुटियों से सीखना ही हमारा उद्देश्य है।
maanywar
galatii chhotii ho yaa lambii,galatii galatii hotii hai.is tarah kii nuktaachiinii ko sudhaarane waalii preranaa samajhnii chaahiye.gangastar jaj kahanaa kahna uchit nahi hai.
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