Friday, May 19, 2006

बीबीसी ने लाइफ बना दी

बीबीसी ने जो कह दिया वह पत्थर की लकीर है क्योंकि बीबीसी की खबर गलत नहीं हो सकती। दशकों से बीबीसी वाले यही कहते और हम यही मानते आए हैं। अब आपको बताते हैं बीबीसी वालों का कारनामा। एक टैक्सी ड्राइवर (या फिर डेटाबेस क्लीनिंग एक्सपर्ट, जैसा कि कुछ लोगों ने कहा है) गाय गोमा ने बीबीसी में एक नौकरी के लिए आवेदन किया। वह बेचारा रिशेप्शन पर बैठा अपनी नौकरी के इंटरव्यू का इंतजार कर रहा था तभी उसके लिए बुलावा आया। कुछ ही क्षणों में उसने अपने आपको बीबीसी न्यूज के स्टूडियो में लाइटों से घिरा पाया जहां उस पर एपल कॉर्प (बीटल्स) बनाम एपल कंप्यूटर्स के मुकदमे के फैसले संबंधी सवालों की बौछार कर दी गई। गाय गोमा को लगा कि शायद बीबीसी वाले नौकरी के लिए कुछ ज्यादा ही मुश्किल इंटरव्यू लेते हैं। (नीचे फोटो में ही देखिए बंदे की हालत खस्ता है)। खैर, वह तकनीकी विषयों पर जैसे-तैसे उल्टे-पुल्टे जवाब देता रहा, बिना यह जाने कि उसका यह इंटरव्यू बीबीसी नेटवर्क पर लाइव प्रसारित किया जा रहा है और स्क्रीन पर उसका नाम गाय क्यूनी बताया जा रहा है जो कि एक आईटी वेबसाइट न्यूजवायरलेस.नेट के संपादक हैं।


कुछ देर में जब समाचार प्रस्तोता को अहसास हुआ कि रिसर्च वाले किसी गलत बंदे को पकड़ लाए हैं तो उसने जैसे-तैसे हालात को संभाला और इंटरव्यू खत्म किया। हां, इंटरव्यू खत्म होते समय गाय गोमा के मन में यही बात होगी कि बेटा मारे गए। इंटरव्यू तो बड़ा कर्रा निकला। यहां नौकरी का कोई चांस नहीं।

उधर गाय क्यूनी साहब रिशेप्शन पर दूसरी जगह इंतजार करते रहे और अचानक उन्होंने स्क्रीन पर देखा कि उनके नाम से बीबीसी न्यूज में कोई और बंदा दनादन उल्टे-सीधे जवाब देते जा रहा है। क्यूनी साहब इस इंटरव्यू के लिए कई दिन से रिसर्च में जुटे थे मगर सब गुड़ गोबर हो गया। तो भाई लोगो, आगे से बीबीसी को दूसरे मीडिया से कम आंकने की गलती मत कीजिए।

आप गाय गोमा साहब का वह इंटरव्यू यहां देख सकते हैं।

(माफ करें, ऊपर वाले स्थान से बीबीसी ने इंटरव्यू का वीडियो हटवा दिया है। फिर भी, यह इस स्थान पर उपलब्ध है। हालांकि यहां वीडियो खुलने में वक्त काफी लगता है)।

और गाय क्यूनी साहब की व्यथा को यहां समझने की कोशिश कर सकते हैं।

3 Comments:

At 3:20 PM, Blogger Jitendra Chaudhary said...

ये तो बड़ा मजेदार किस्सा हुआ।
सही सुनाया, मजा आ गया।
लेकिन ये बताओ, गायब कहाँ हो आजकल,तुम दुनिया भर की मीडिया की चिकाई लेते हो,तुम्हारी कौन चिकाई लेगा?

चिन्ता मत करो, हम है ना, आ जाओ मैदान में
परिचर्चा पर, आज ही रजिस्टर करो। ये रहा लिंक
http://www.akshargram.com/paricharcha

 
At 3:38 AM, Blogger Basera said...

बढ़िया ख़बर है।

 
At 12:23 PM, Blogger विवेक रस्तोगी said...

वाकई कभी ऐसा इंटरव्यू देना पड़ जाये तो क्या हालत होगी वो भी बी.बी.सी. पर लाइव

 

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