आत्मा को अदालत भेजने से काम नहीं चलेगा?
माफ कीजिएगा लगातार दूसरी बार समाचार एजेंसी की खबर पर टिप्पणी कर रहा हूं। यूनीवार्ता पर खबर आई है कि एक अदालत ने अभियुक्त को पेश होने का हुक्म तो दिया ही है, यह भी कहा है कि उसे सशरीर मौजूद होना पड़ेगा! चलिए, हमें पहली बार पता चला कि लोग बिना शरीर भी अदालती कार्यवाहियों में हिस्सा ले आते हैं। शायद अदालत को शक रहा होगा कि बंदा कहीं खुद आने की बजाए अपनी आत्मा को अदालत भेज दे और खुद मजे से घर बैठा किसी बबली टीवी चैनल पर खबरें देखता रहे। नहीं भाई नहीं, ऐसे नहीं चलेगा। शरीर साथ लाना पड़ेगा। जहां तक मुझे लगता है, वार्ता वाले बंदे ने "He has to be physically present in the courtroom" जैसे किसी वाक्य का अपने अंदाज में अनुवाद किया है। आप भी पढ़ें-
1 Comments:
वैसे भी अभियुक्त ने तो आत्मा, अन्तरात्मा, आदि को तो घर छोड़ कर ही आना है...
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