Saturday, January 05, 2008

सरकार और संसद विच कनफ्यूज़ दैनिक हिन्दुस्तान!

दैनिक हिन्दुस्तान ने 12 दिसंबर के अंक में अपने मुख्य संपादकीय आलेख में बड़ा गोलमाल कर दिया है। लोकतंत्र के स्तंभों के दायित्वों को लेकर वह भारी कन्फ्यूजन का शिकार दिखता है। अदालतों को आत्मावलोकन की राय देते हुए अपने मुख्य संपादकीय में अखबार लिखता है-

वैसे तो कार्यपालिका का उत्तरदायित्व कानून बनाना, विधायिका का उन पर अमल करना और न्यायपालिका का कानून की व्याख्या करना है...

मुझे तो यह डेडलाइन की जल्दबाजी में की गई चूक लगती है। लेकिन मुख्य संपादकीय आलेख में!

4 Comments:

At 5:06 PM, Blogger Ashish Maharishi said...

हिंदुस्‍तान जैसे प्रतिष्ठित अखबार से यह उम्‍मीद नहीं थी

 
At 8:32 PM, Blogger Unknown said...

ab bhi kahne ko kuchh baki hi kya ?

 
At 12:49 AM, Blogger अविनाश वाचस्पति said...

गलती नहीं करेंगे तो पता कैसे चलेगा कि संपादक भी होता है इंसान
गलती पकड़ते पकड़ते इतने हो गए लापरवाह पकड़ लिए अपने कान

 
At 5:56 PM, Blogger chilkaur said...

Yah vakai bahut badi chook hai.

 

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