Thursday, August 30, 2007

पत्रकार, जो आवाजों को 'देख' सकते हैं

हम सब सामान्य व्यक्ति हैं जो आवाजों को सिर्फ 'सुन' सकते हैं। लेकिन कुछ अतिसुविधासम्पन्न और सक्षम लोग ऐसे भी हैं जो आवाजों को सुन भले ही न सकें, 'देख' जरूर लेते हैं। स्वाभाविक रूप से, ये लोग हमारे पत्रकार साथी ही हो सकते हैं। यूनीवार्ता की यह खबर देखिए, जिसमें साफ लिखा है कि रिपोर्टर महोदय लोकसभा में हुए हंगामे के दौरान आवाजों को सुनने में तो सफल नहीं हुए लेकिन उन्होंने आवाजें 'देख' जरूर लीं।

3 Comments:

At 5:32 PM, Blogger Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा said...

मैं पहली बार यहां आया हूं, ब्लागवाणी में आप पर नजर गयी तो यहां क्लिक किया।
माफी चाहुंगा काफी देर बाद यहां पहुंचा हूं।
आप जो काम कर रहे हैं..वह सचमुच में लाजबाव है..
शुक्रिया
गिरीन्द्र
www.anubhaw.blogspot.com

 
At 8:52 PM, Blogger Avinash Das said...

मैं गिरींद्र की बातों से सहमत हूं।

 
At 5:15 AM, Blogger My Blogs said...

बालेंदुजी
आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. वैसे मुझे इन पत्रकार महोदय का expression अच्छा लगा, 'आवाजे सुन नही देख रहे हैं.

 

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