Thursday, August 16, 2007

दलेर मेहंदी को नहीं पहचानते इंडिया टुडे वाले!

इंडिया टुडे (हिंदी) के ताजा अंक (22 अगस्त) में दीपंकर गुप्ता का लेख छपा है- जोड़ते हैं जो जख्म। लेख बहुत अच्छा है। इसमें भारतीय सैनिकों का हौंसला बढ़ाते दलेर मेहंदी का फोटोग्राफ प्रकाशित किया गया है। लेकिन फोटो छापने वाले पत्रकार बंधु शायद भारत के सबसे चर्चित गायकों में से एक दलेर मेहंदी को पहचानते नहीं। यकीन नहीं होता? जरा फोटो का कैप्शन पढ़िए। न जाने किन 'लोगों' का जिक्र है इसमें।

5 Comments:

At 7:57 PM, Blogger sanjay patel said...

बालेंदू भाई...मीडिया में आई नई पौध,कामकाज की जल्दबाज़ी और होमवर्क न करने की स्थितियों के क्या कहने.मैने अपने ब्लाँग पर टू मिनिट रिपोर्टिंग शीर्षक से एक आलेख जारी किया था जिसमें इस वाक़ये का उल्लेख था कि संगीतकार मदनमोहन पर एकाग्र श्रध्दांजली कार्यक्रम में तेज़ी से बढ़ते (सर्क्यूलेशन के लिहाज़ से) की संवाददाता आयोजन स्थल पर आकर मुझसे पूछ रही थी कि सर ! मदनमोहन जी कब तक पहुँच जाएंगे यहाँ.अच्छा हुआ वह मुझसे मिल ली और मैने हकी़कत बयान कर दी वरना दूसरे दिन अख़बार में ये हेडलाइन हो सकती थी बीती शाम महक उठी मदनमोहने की आवाज़ से.ये सारी चीज़े ज़िन्दगी में बढ़ चली आपाधापी का नतीजा है बालेंदू भाई...हमारे इन्दौर जैसे छोटे क़द के शहर भी इस हाइप के शिकार हैं ...ये और कुछ नहीं सीधे सीधे अपने काम के प्रति बेपरवाही का नतीजा है.

 
At 9:14 PM, Blogger Unknown said...

सही लिखा है संजय जी ने, आजकल चूरन बेचने वाले अखबार के मालिक और कुछ "फ़र्जी" लोग पत्रकार बन बैठे हैं, जो पत्रकारिता और साबुन बेचने में अन्तर नहीं जानते.. बालेन्दु जी सुखद अहसास के साथ आपका ब्लॉग पढा... साधुवाद..

 
At 6:03 AM, Blogger ePandit said...

हा हा, मजेदार।

 
At 3:31 AM, Blogger My Blogs said...

बालेंदु भाई ,
मैं तो यही प्रार्थना करता हूं कि भगवान इन मीडिया वालों क्प सद् बुद्धि दे ताकि पाठकगण इतने frustrate न हो. मेरी अंग्रेजी मिश्रित हिंदी के लिये माफ़ कीजियेगा . अमेरिका में इतने साल रहने के कारण कभी कभी सही हिंदी शब्द याद नही आता.

 
At 10:35 AM, Blogger Unknown said...

ek dam sahi bat

 

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