समारोह में आए बिना अवार्ड कैसे दे दिए?
दैनिक जागरण ने दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी उत्सव की खबर दी है और लिखा है कि आईसीसीआर के प्रमुख डॉ. कर्ण सिंह ने कल समापन समारोह के दौरान कुछ हस्तियों को अक्षरम सम्मान प्रदान किए। न जाने जागरण वालों को डॉ. साहब कहां दिखाई दे गए क्योंकि वे किन्हीं कारणों से इस समारोह में उपस्थित ही नहीं हो सके थे। फिर उन्होंने पुरस्कार कैसे प्रदान कर दिए?
5 Comments:
सरजी, कर्ण सिंह नहीं आए, ये आपको पता है न जो लोग वहां नहीं गए उन्हें क्या पता,अकबार पढ़कर जागरुक रहनेवालों के लिए तो आए ही थे न। मीडिया जो लिखता है, दिखाता है,चुपचाप मान क्यों नहीं लेते. ये तो भला हुआ कि अखबार है नहीं तो चैनल पुराने फुटेज लगकर चला देते। सच वही है जो मीडिया बताए, बाकी सब मिथ्या, माया है सरजी।
सही है बालेंदु जी, आशा है समाचार पत्र वाले भी इस लेख को पढ़ेंगे!
चलिए कर्ण सिंह को कहीं तो भेजा वरना आजकल वो मीडिया में दिखाई नहीं देते हैं
फास्ट फूड का ज़माना है सर जी...हर चीज़ पहले से ही आधी पका कर रखनी पदती है कि ऐन वक्त पर काम आ सके। बस ऐसा ही कुछ कुछ आजकल मीडिया भी होता जा रहा है। अब इसे समय की कमी कहें या पत्रकारों का उतावलापन?...
हो सकता है कि पत्रकार महोदय को कहीं किसी बाला के साथ डेट का चाँस मिल रहा हो और वो डेट का मोह त्याग नहीं पाए होंगे।ड्यूटी बजाने की रस्म निभाना भी ज़रूरी ही रहा होगा...सो पहले ही ओवरटाईम लगा कर लिख डाली होगी होगी रिपोर्ट.....
अच्छा यही होता कि वो डेट वाली जगह पर ओवरटाईम लगाते तो शायद कोई ना कोई खुशखबरी भी मिल ही जाती....
अक्षरम की खबर है
तो किसने कहा है
अक्षर अक्षर ज़रूर पढ़ो
कुछ लाइनां तो छोड़ बढ़ो
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