फोटो कैप्शन से झलकती अश्लील मानसिकता
एक राष्ट्रीय अखबार में एक फिल्मी पार्टी की तसवीर छपी है और साथ में छपा है उसका फोटो कैप्शन (परिचय)। लिखने वाले ने जिस तरह रस ले-लेकर अश्लील कल्पना के आधार पर इसे तैयार किया है वह उसकी मानसिकता का परिचायक है। लगता है आजकल के अखबार अपराध पत्रिकाओं से होड़ लेने के बाद अब पोर्नोग्राफिक पत्रिकाओं को भी पीछे छोड़ने पर आमादा हैं। जरा देखिए, रचनात्मकता के नाम पर भाई लोग किस हद तक लिबर्टी ले लेते हैं। (साफ पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें)।
4 Comments:
विडम्बना है कि पूरा मीडिया इसी सस्ती भाषा,कल्पना में जुटा है।
और इन कलाकारों को भी इससे कोई फर्क नही पडता. नही तो इस तरह के समाचार कैसे छापे जा सकते हैं? हमाम मे सब नंगे हैं
स्टार डस्ट, फ़िल्मी कलियां जैसी पत्रिकाओं की शैली ही अब अख़बार में अपनाई जाने लगी हैं. वो दिन दूर नहीं टीवी पर भी यह असर होगा. हालांकि अब तक तो गॉसिप ने ख़बरिया न्यूज़ चैनलों में जगह बना ली है.
घृणित कैप्शन!!!
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