सिर्फ 525 किलोमीटर दूर से आई है खबर
नवभारत टाइम्स में लोकरुचि की एक खबर छपी है एक मंदिर के बारे में जहां फूल नहीं, पत्थर चढ़ाए जाते हैं। खबर तो ठीक है, लेकिन मंदिर की भौगोलिक स्थिति का विवरण देते हुए लेखक ने लिखा है कि यह स्थान जयपुर से 525 किलोमीटर दूर है। किसी अनजान स्थान की पहचान कराने के लिए निकट के शहरों का नाम लिखने की परंपरा तो है। लेकिन उसे 525 किलोमीटर दूर के शहर से जोड़कर देखने की कम से कम मेरी जानकारी में तो यह पहली मिसाल है। इतनी लंबी दूरी में तो राज्य ही बदल जाते हैं। क्या लेखक को इससे कम दूरी में कोई और शहर दिखाई नहीं दिया?
2 Comments:
संवाददाता और डेस्क पर बैठे लोग आपके चिट्ठे से सीख ले सकते हैं.उससे ऊपर वालों का दरवाजा खुलना मुश्किल है.
शुभकामना
good effort n a nice experience to read all thease articales.
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