बिहार के कहां से कहां पहुंचा दिए हैं नीतिश बाबू!
बिहार सरकार ने टाइम्स ऑफ इंडिया में चौथाई पेज का विज्ञापन दिया है जिसमें कहा गया है कि देखिए नीतिश कुमार की सरकार ने राज्य को नंबर वन बना दिया है। विज्ञापन यह भी कहता है कि यह बात हम नहीं कहते, बल्कि जमाना कहता है। अब जरा देखें कि विज्ञापन में नीतिश सरकार की कौनसी उपलब्धियां गिनाई गई हैं। विज्ञापन में छापी गई अखबारों की कतरनों में जिन उपलब्धियों का ब्यौरा दिया गया है वे हैं- उज्जैनी व ऐश्वर्य नामक प्रतिभावान गायिकाओं का जी टीवी के संगीत कार्यक्रम के मेगा फाइनल में पहुंचना और दूसरा बिहारी किशोरी शिल्पी का ब्रिटेन में टेनिस खिताब जीतना। इन तीनों प्रतिभाओं ने न सिर्फ बिहार बल्कि देश को भी गौरवान्वित किया है, इसमं कोई संदेह नहीं। लेकिन इसमें नीतिश कुमार सरकार का क्या हाथ है? क्या सरकारी उपलब्धियों और तरक्की के नाम पर बिहार को यही मिलेगा?

4 Comments:
इसमे अखबार वालो की क्या गलती हैं, विज्ञापनो के लिए वे जिम्मेदार नहीं. तरस बिहार सरकार पर आना चाहिए.
शायद आपका इरादा भी सरकार पर व्यंग्य करना ही रहा होगा पर वाह! मीडिया में अब तक मीडिया की ही खबर लेते रहे हैं आप.
संजय भाई, मीडिया की विषय वस्तु में विज्ञापन भी तो शामिल हैं। यदि मुद्दा किसी न किसी रूप में मीडिया से जुड़ा है तो विनोद का मौका क्यों छोड़ा जाए? गोल भले ही न ठोकें, थोड़ी बहुत इधर-उधर ड्रिबलिंग करने में क्या हर्ज है?
जो भी हो मगर विज्ञापनों के लिए अखबार हरगिज़ ज़ेम्मेदार नही ये शुरू से ऐसा है।
आप दोनों काफी हद तक ठीक कहते हैं। लेकिन हमारा उद्देश्य किसी पर भी दोषारोपण करना नहीं बल्कि विनोद की विभिन्न स्थितियों को सामने लाना है।
जहां तक विज्ञापनों के लिए अखबारों के कतई जिम्मेदार न होने की बात है, यह वास्तविकता नहीं है। अखबारों का देश और समाज के प्रति महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व है और इस बारे में बहुत ही सुपरिभाषित नियम व परंपराएं हैं। ऐसा न होता तो उनमें शराब के विज्ञापनों की भरमार होती। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिन्हें विज्ञापन में भी नहीं छापा जा सकता। मसलन- राष्ट्रीय अस्मिता, सुरक्षा, सांप्रदायिक सद्भाव, न्यायपालिका, संसद और नैतिकता के विरुद्ध जाने वाले विज्ञापन, गलत नक्शे आदि। हालांकि ये उदाहरण मैं सिर्फ विज्ञापनों और मीडिया के अंतरसंबंधों पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए दे रहा हूं, उन्हें बिहार सरकार के इस विज्ञापन से जोड़कर देखने का मेरा कोई इरादा नहीं है।
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