Monday, August 04, 2008

आतंकवाद के भावी शिकारों की सूची?

इकॉनामिक टाइम्स (हिंदी) ने आतंकवाद के शिकार लोगों के बारे में दी गई खबर के साथ एक बॉक्स प्रकाशित किया है जिसमें बहुत से लोगों के चित्र लगाते हुए ऊपर शीर्षक दिया गया है- अब तक 49, कब रुकेगी यह गिनती? यहां जिन लोगों के चित्र लगाए गए हैं क्या ये उन 49 लोगों के चित्र हैं जो आतंकवाद के शिकार हुए? हर पाठक इस देखकर ऐसा ही सोचेगा। लेकिन चित्रों की संख्या सौ है और वे भी सभी प्रोफेशनल किस्म के लोग दिखाई देते हैं जिन्हें देखकर साफ हो जाता है कि इन चित्रों को कहीं से ऐसे का ऐसे उठाकर लगा दिया गया है। सवाल उठता है कि क्या किसी को यह अधिकार है कि वह मृतकों के बारे में खबर देते हुए ऐसे लोगों के चित्र लगा दे जो जिन्दा हैं और जिनका इस खबर से कोई लेना देना नहीं है? वह भी एक दो के नहीं बल्कि सौ लोगों के? खबर के शीर्षक से यह ध्वनि भी निकलती है कि 49 लोगों के बाद अब इन सौ लोगों की बारी है। इकॉनामिक टाइम्स को आत्मालोचना करनी चाहिए कि उसके इस इनोवेटिव कदम से लोगों में संदेश क्या गया होगा।

4 Comments:

At 12:59 PM, Blogger आशीष कुमार 'अंशु' said...

मामला सिर्फ़ इतना है, जो अखबार छापने वाला वर्ग है, उसकी नजर में उसे पढ़ने वाला वर्ग कमअक्ल ही है. जिसे जो भी दे दो पढ़ने को तैयार है. वह उफ़्फ़ तक नहीं करेगा.

 
At 2:27 PM, Blogger अविनाश वाचस्पति said...

ऐसा है कि जिन्‍दा लोग तो इनमें तलाश करने से रहे क्‍योंकि वे तो जिन्‍दा हैं, मृतकों में अपना चित्र क्‍यों तलाशेंगे ?

और जो लाश बन गए, वो राख हो गए, वो देखने आने से रहे ?

इसलिए अखबार को कोई खतरा नहीं है। खतरा सिर्फ वाह मीडिया वालों से ही था, और उनकी नजर से बच नहीं पाए।

इसलिए निडर होकर ऐसी गलतियों रूपी तितलियां उड़ती रहेंगी।

 
At 2:28 PM, Blogger अविनाश वाचस्पति said...

 
At 2:35 PM, Blogger संजय बेंगाणी said...

देख लूँ कहीं मेरी फोटो तो नहीं छप दी, क्या पता अगला नम्बर अपना हो....

 

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