बेचारा सरबजीत! एक तरफ फांसी, दूसरी तरफ सजा-ए-मौत
समाचार एजेंसी भाषा ने महत्वपूर्ण खबर दी है कि पाकिस्तान सरकार भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की फांसी की सजा को बदल कर सजा-ए-मौत में तब्दील कर सकती है। बेचारा सरबजीत! अब अपनी सजा में होने वाले इस संभावित बदलाव को लेकर वह हँसे या रोए? शायद भाषा वाले ही बता सकते हैं कि इनमें से कौनसी सजा छोटी और कौनसी बड़ी है।
प्रसंगवश, सजा-ए-मौत की जगह आजीवन कारावास या उम्रकैद शब्द का इस्तेमाल किया जाना था।
5 Comments:
हास्यास्पद। धन्य हैं ऐसे समाचार-पत्र।
अब तो बेचारे को दो सजाओं से बचने की जरूरत है.
अब इस पर क्या कहा जाए ।
शर्म की बात है कि हिन्दी मे छपने वाले अखबार का ये हाल है।
भाई लोग यह अखबार नहीं एजंसी है.
बड़े लोग हैं भाई ग़लती हो गयी तो भी सही हैं.
Post a Comment
<< Home