क्या यह 'कांग्रेस संदेश' का संपादकीय है?
अंग्रेजी दैनिक हिंदुस्तान टाइम्स के संपादकीय पेज पर छपे लेख का शीर्षक देखिए। लेख सत्तारूढ़ पार्टी से कह रहा है कि अगर चुनाव जीतना है तो बजट पर ही निर्भर रहने से काम नहीं चलेगा। चुनाव जीतने के लिए अच्छा शासन और ठोस राजनीति की भी जरूरत है। यह भारत के सबसे लोकप्रिय अंग्रेजी दैनिकों में से एक की संपादकीय टिप्पणी है या कांग्रेस के किसी चुनावी सलाहकार की नसीहत? समाचार पत्र यह बात क्यों भूल जाते हैं कि पाठक स्वच्छ पत्रकारिता की पहली जरूरत के रूप में उनसे निष्पक्षता की उम्मीद करते हैं। खैर, आप भी जरा इस लेख के अंत में दी गई टिप्पणी पढ़िए। अखबार लिखता है-
Budgets alone cannot win elections; it must be backed with sound politics and good governance. A message also has to go down the line that the government knows its mind and has a goal in mind.
बात तो पते की है मगर यह किसी कांग्रेसी रणनीतिकार के लेख में होती और 'कांग्रेस संदेश' में छपी होती या पार्टी के निजी दस्तावेजों में लिखी होती तो शायद ज्यादा अच्छी लगती।
यह लेख देखकर मुझे पिछले लोकसभा चुनाव के मतदान के दिन प्रकाशित राजस्थान पत्रिका के अंक का स्मरण हो आया। अखबार के मास्टहैड के दोनों ओर बने विज्ञापन वाले स्थान पर भाजपा के चुनाव चिन्ह छपे थे। उनके साथ कोई संदेश, विज्ञापन आदि नहीं। क्या यह पाठकों के नाम भाजपा को वोट देने की अप्रत्यक्ष अपील थी? या फिर भाजपा के साथ अपने संबंधों की भोली स्वीकारोक्ति?
खैर, फिलहाल तो हिंदुस्तान टाइम्स के लेख पर नजर डालिए..
2 Comments:
हिंदुस्तान टाइम्स एक अच्छा अखबार है लेकिन, संपादकीय नीतियों के मामले कांग्रेस मोह किसी से छिपा नहीं है।
राजस्थान के जिस अखबार का नाम आपने लिखा है उसका भाजपा मोह जग जाहिर है और एचटी के क्या कहने हैं
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