Thursday, July 24, 2008

टाइम्स ने गुजराल को बीस साल पीछे भेज दिया!


टाइम्स ऑफ इंडिया ने साझा सरकारों के गिरने की कहानी कहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल की सरकार के विश्वास मत के बारे में एक बॉक्स प्रकाशित किया है लेकिन उनके प्रधानमंत्रित्वकाल का वर्ष ही गड़बड़ हो गया है।

टाइम्स उन्हें 1979 में प्रधानमंत्री बता रहा है जिस वर्ष स्व. मोरारजी देसाई और स्व. चरण सिंह प्रधानमंत्री थे। गुजराल तो 1997 में इस पद पर थे। यानी नौ और सात के इधर-उधर होने से गुजराल साहब बीस साल पुराने पड़ गए।

Monday, July 14, 2008

...और अब बारी एक 'सर्वोच्च' साप्ताहिक की

कई अखबारों और चैनलों को अपने आपको नंबर वन और सर्वश्रेष्ठ के रूप में प्रचारित करते हुए देखा है। कभी समझ में नहीं आया कि कोई खुद ही अपने सर्वश्रेष्ठ होने का निर्णय और दावा कैसे कर सकता है? लेकिन लीजिए हाजिर है एक और भी मजेदार दावा। द सन्डे इंडियन पत्रिका ने अपने आपको नया दर्जा दिया है और वह है- देश के 'सर्वोच्च' समाचार साप्ताहिक का। क्या कोई बता सकता है कि सर्वोच्च साप्ताहिक क्या होता है? सर्वोच्च पर्वतमाला, सर्वोच्च पद, सर्वोच्च श्रेणी जैसे प्रयोग तो समझ में आते हैं लेकिन क्या कोई अखबार या पत्रिका भी सर्वोच्च या उच्चतम हो सकती है? यदि ऐसा है तो फिर कुछ निम्नतम, कुछ औसत, कुछ मध्य-स्तरीय आदि भी पत्र-पत्रिकाएं होंगी? वाकई बहुत नया प्रयोग है और बहुत ऊंचा भी (सिर के ऊपर से जो निकल गया)।

Saturday, July 12, 2008

स्टॉक मार्केट को योगासन करा दिया वेबदुनिया ने

लोकप्रिय हिंदी पोर्टल वेबदुनिया ने अपना कलेवर बदला है। इसके लिए उन्हें बधाई। मगर जरा मुखपृष्ठ पर लगाए गए विभिन्न टैब्स में से एक (योगासन) को क्लिक करके देखिए। वहां तो स्टॉक एक्सचेंज की खबरें हैं!! माना कि इन दिनों स्टॉक मार्केट शीर्षासन की अवस्था में है लेकिन यहां तो सारी की सारी खबरें ही योगासन कर रही हैं!

Friday, July 11, 2008

इसीलिए हो रहा है फरीदाबाद का इतना विकास

टाइम्स ऑफ इंडिया ने फरीदाबाद में चल रहे शानदार विकास का ब्यौरा देते हुए बताया है कि केंद्र सरकार ने उसके विकास के लिए भारी-भरकम रकम खर्च करने की योजना बनाई है। कितनी? यही कोई 2,200 रुपए! अब आप ही अंदाजा लगा लीजिए कि इतनी बड़ी रकम होगी तो भला फरीदाबाद तरक्की की दौड़ में किसी से पीछे कैसे रहेगा?

Thursday, July 10, 2008

राजनैतिक संकट में कबूतरों की क्या भूमिका है?

नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर आज उमा भारती के गुवाहाटी दौरे का चित्र छपा है जिसमें उन्हें कबूतरों को चुग्गा डालते दिखाया गया है। चित्र तो सामान्य सा है मगर कैप्शन का जवाब नहीं। लिखा है- देश में राजनैतिक तूफान आया हुआ है और उमा भारती गुवाहाटी में कबूतरों को दाना डाल रही हैं।

क्यों भाई, राजनैतिक संकट के दिनों में कबूतरों को दाना डालना गुनाह है क्या? बेचारे कबूतरों ने पत्रकारों या नेताओं का क्या बिगाड़ा है जो उनका दाना-पानी बंद करने की बात की जा रही है? कैप्शन में यह भी लिख दिया जाता कि राजनैतिक तूफान के दिनों में और क्या-क्या नहीं किया जाना चाहिए तो और मार्गदर्शन हो जाता।

Monday, July 07, 2008

डॉ. मनमोहन सिंह बनाम ऐय्याश प्रेमी?

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली आदि से प्रकाशित देशबंधु में सात जुलाई को एक मजेदार खबर छपी। खबर ऐय्याशी करने वाले एक प्रेमी की गिरफ्तारी के बारे में है जिसमें प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का फोटो लगा दिया गया है। मनमोहन सिंह जी तो बेचारे न ऐय्याशी करते हैं और न ही प्रेमी हैं। वैसे खबरों में गलत फोटो लगाए जाने के मामले में मनमोहन सिंह जी काफी लोकप्रिय दिखाई देते हैं। पहले भी हम ऐसी खबरों के बारे में खबर दे चुके हैं जिनमें बिना वजह डॉ. सिंह का चित्र लगा दिया गया। मिसाल के तौर पर याहू और माइक्रोसॉफ्ट के सौदे के बारे में आई एक खबर में भी मनमोहन सिंह जी का चित्र लगा था। खबर यहां देखिए-

यह सूचना सुधी पाठक बलबिंदर सिंह पाबला ने भेजी है।