Thursday, June 26, 2008

ये कौनसे इंटरनेट के डोमेन नेम हैं भैया

इंटरनेट पर नए डोमेन एक्सटेंशन (.com, .net आदि) शुरू किए जाने की संभावनाओं पर नवभारत टाइम्स में छपी खबर बड़ी मजेदार है। अखबार ने बड़ी मजेदार सूचना दी है कि ब्रिटेन का डोमेन एक्सटेंशन '.ह्द्म' है और इटली का '.द्वह्ल'। इसी तरह कामर्स का डोमेन एक्सटेंशन '.ष्श्रद्व' है और इन्स्टीट्यूशनल ऑर्गनाइजेशनों के लिए 'ठ्ठद्रह्ल' और '.श्रहद्द' डोमेन एक्सटेंशन इस्तेमाल होते हैं। अखबार लिखता है कि दुनिया में .333 नामक डोमेन एक्सटेंशन को लेकर बहुत मांग और विवाद है। अखबार ने जो डोमेन एक्सटेंशन लिखे हैं उन्हें तो टाइप करना भी बड़ी टेढ़ी खीर है। खैर मैं उन्हें इससे ज्यादा शुद्धता के साथ टाइप करने में असमर्थ हूं। ये सभी एक्सटेंशन असल में .xxx, .uk, .it, .com, .edu और .org लिखे जाने चाहिए थे। गलती अंग्रेजी टेक्स्ट को हिंदी में कनवर्ट कर दिए जाने से हुई लगती है, लेकिन है मजेदार और 'ज्ञानवर्धक'। आप भी पढ़ें-

Monday, June 16, 2008

क्या भारत में एक ही शादी-वेबसाइट है?

ताज्जुब की बात है, याहू पर छपे एक लिंक के मुताबिक भारत में वैवाहिक गठबंधन करवाने वाली सिर्फ एक ही साइट है, और वह है -सिम्प्लीमैरी.कॉम। जहां तक मेरी जानकारी है, इस सारे खेल की शुरूआत ही शादी.कॉम ने की। उसके बाद भारतमैट्रीमनी.कॉम और जीवनसाथी.कॉम ने अच्छी-खासी सफलता हासिल की। वैसे भी शादियां कराने के खेल में सिम्प्लीमैरी.कॉम तो बहुत पीछे है। फिर यह भारत की एकमात्र मैट्रीमनी साइट कैसे हो गई? उपरोक्त ही क्यों, आजकल तो शादियां करवाने वाली वेबसाइटों की भीड़ लगी है। मिसाल के तौर पर- सैकंडशादी.कॉम, इंडियनरिश्ते.कॉम, हमारीशादी.कॉम, लाइफपार्टनरइंडिया.कॉम और न जाने क्या क्या..

क्या याहू भी कैलेंडरों और दीवारों पर इश्तिहार लिखने वाले छुटभैये दुकानदारों की तर्ज पर एकमात्र शब्द का प्रयोग करने लगा है? जैसे कि कुछ लोग लिखा करते हैं- दिल्ली में बंगाली मिठाइयों की एकमात्र दुकान, या फिर जयपुर में स्टेशनरी मिलने का एकमात्र स्थान। इतना बड़ा पोर्टल भला ऐसा कैसे लिख सकता है?

Friday, June 13, 2008

एक हवा-हवाई हैडलाइन

हिंदी इकॉनॉमिक टाइम्स में आज संपादकीय पेज पर अंतरराष्ट्रीय और घरेलू विमानन कंपनियों के बीच चल रही होड़ के बारे में एक लेख छपा है। शीर्षक दिया गया है- हवाई विमान और जमीन पर घमासान। हवाई विमान? अगर विमान लिखा है तो क्या हवाई लिखने की भी जरूरत है? कहीं ऐसा तो नहीं कि नई तकनीक के दौर में विमान जमीन और समुद्र में भी चलने लगे हों इसलिए हवा में उड़ने वाले विमानों के लिए खास तौर पर हवाई शब्द का प्रयोग करना अनिवार्य है ताकि लोग कहीं उन्हें पानी में चलने वाले विमान न समझ लें।


पुनश्चः वैसे लगता यह है कि हैडलाइन देने वाले बंधु ने दोनों लाइनों के बीच कवितात्मक तुक भिड़ाने के लिए हवाई शब्द जोड़ा होगा- हवाई विमान और जमीन पर घमासान। मगर कवितात्मक शीर्षक देने की ऐसी भी कौनसी मजबूरी है कि विमान को विशेष प्रयास करके हवा-हवाई बनाना पड़े?

Tuesday, June 10, 2008

पूरे देश में हजार कंप्यूटर बिकें तो क्या बड़ी खुशी की बात है?

आईडीसी की तरफ से भारतीय कंप्यूटर बाजार पर जारी की गई रिपोर्ट की खबर देने में टाइम्स ऑफ इंडिया चूक गया। नौ जून को छपी टाइम्स की खबर के अनुसार पूरे भारत में तीन महीनों में एक हजार कंप्यूटर बिके हैं और वह इस उपलब्धि को लेकर बहुत खुश है। उसका कहना है कि कंप्यूटर बाजार में पूरे दस फीसदी की बढ़ोत्तरी होने से यह आंकड़ा हासिल किया जा सका है। यानी पिछली तिमाही में तो पूरे देश में करीब नौ सौ कंप्यूटर बिके होंगे। इस हिसाब से देखें तो पूरे साल में भारत में तीन हजार से कुछ ज्यादा कंप्यूटर बिकते हैं। वाकई हमने बहुत तरक्की कर ली है। आप भी देखें टाइम्स ऑफ इंडिया की वह रिपोर्टः



वैसे असली खबर यह है कि भारत में इस अवधि में हर घंटे में एक हजार कंप्यूटर बिके। तीन महीने का कैलकुलेशन करेंगे तो टाइम्स ऑफ इंडिया बहुत पीछे छूट जाएगा। ताज्जुब है लिखने वाले सज्जन को नहीं सूझा कि इतने बड़े देश के लिए हजार कंप्यूटर क्या चीज हैं?