Tuesday, February 26, 2008

इस बहाने स्व. मुकेश को ही याद कर लेते

जोश-18 के मुखपृष्ठ पर खबर छपी है- नील मुकेश की दादी का निधन। फोटो दादी का नहीं बल्कि नील मुकेश का लगा है। यहां कई सवाल एक साथ उभरते हैं। पहली बात तो यह कि क्या नील मुकेश की दादी पाठकों के लिए इतनी महत्वपूर्ण हैं, जब खुद नील मुकेश ही महत्वपूर्ण नहीं हैं? दूसरे, लेखक ने इस खबर को फिल्म सेक्शन की लीड बनाने को जस्टीफाई करने के लिए साथ में लिख दिया है कि नील को अपनी दादी से बेहद लगाव था। यानी इस आधार पर यह पहले पेज की प्रमुख खबर हो गई। क्या आप इससे सहमत हैं?

अब तीसरी बात। नील मुकेश की दादी सरल के साथ शायद ज्यादा न्याय होता यदि जोश ने यह लिखा होता कि गायक नितिन मुकेश की मां का निधन या फिर अमर गायक स्व. मुकेश की पत्नी का निधन। अब या तो उन्हें इसका पता नहीं, या फिर वे नील मुकेश को स्व. मुकेश से ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं। अगर स्व. मुकेश का जिक्र किया होता तो खबर को जस्टीफाई करने की जरूरत ही कहां थी।

Friday, February 22, 2008

ओबामा का बयान, ओसामा का चित्र

बेचारे बराक ओबामा! एक बार सीएनएन ने उनसे संबंधित खबर में ओसामा बिन लादेन का चित्र लगा दिया था। अब फिर से वैसा ही हो गया है। इस बार यह कारनामा किया एनबीसी टेलीविजन ने। चैनल के 'हार्डबाल' कार्यक्रम में एक खबर दिखाई गई कि बराक ओबामा ने अन्य राजनीतिज्ञों की तरफ से इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों पर ऐतराज किया है। लेकिन स्क्रीन पर चित्र लगा दिया गया ओसामा बिन लादेन का। किसी अन्य देश के पत्रकारों से ऐसी गलती हो तो समझ में आता है लेकिन कोई जाना-माना अमेरिकी चैनल इन दोनों को पहचानने में गलती करेगा, यह अविश्वसनीय लगता है। आखिरकार बराक ओबामा राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में हैं और ओसामा बिन लादेन के साथ भी अमेरिका का सीधा रिश्ता है। दोनों वहां के मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चित रहने वालों में से हैं।

Tuesday, February 19, 2008

जो चले गए उन्हें भूल गए, जो आए उनको याद रखा

समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह के पिताजी का देहांत हो गया है। नवभारत टाइम्स में उनकी अंत्येष्टि की खबर छपी है लेकिन खबर के शीर्षक और फोटोग्राफ से साफ हो जाता है कि मीडिया के लिए कौन महत्वपूर्ण है। जो चले गए और जिनकी वजह से विभिन्न हस्तियां अमर सिंह के घर पर पहुंची वे शायद मीडिया की नजर में उतने महत्वपूर्ण नहीं जितने कि संवेदना प्रकट करने आए बड़े-बड़े लोग। तभी तो शीर्षक से उनका जिक्र तक गायब है। भाई लोगो, कम से कम शीर्षक में यह तो लिख देते कि अंत्येष्टि किसकी हुई! यह दुखद खबर जिनके जाने से बनी और छपी, उन्हीं को भूल गए। कम से कम ऐसे मामले में तो सेलिब्रिटी-फोबिया छोड़ देना चाहिए था!

Wednesday, February 13, 2008

याहू के अधिग्रहण में भारत-रूस के प्रधानमंत्रियों का क्या रोल?

दैनिक हिंदुस्तान की वेबसाइट पर माइक्रोसॉफ्ट द्वारा याहू के अधिग्रहण की पेशकश संबंधी खबर छपी है। लेकिन फोटो लगाया गया है भारत और रूस के प्रधानमंत्रियों का। क्या डा. मनमोहन सिंह और विक्तर जुबकोव की भी इस डील में कोई भूमिका है जो दोनों याहू की खबर के ऊपर प्रसन्न मुद्रा में हाथ मिला रहे हैं? आप भी देखें।

Tuesday, February 12, 2008

वाईएसआर रेड्डी को वेंकटस्वामी समझ लिया

दैनिक भास्कर के राष्ट्रीय संस्करण (दिल्ली) में कल तेलंगाना राज्य के लिए मुहिम चला रहे जी वेंकटस्वामी के बारे में खबर छपी है। लेकिन चित्र मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी का लगा दिया गया है। आप भी देखिए।

Monday, February 11, 2008

बिग बी को छींक भी आए तो 'ब्रेकिंग न्यूज' है

बेचारे बिग बी। खबरों में रहने से जितना भी बचने की कोशिश करें, मीडिया उन्हें कभी इसकी इजाजत नहीं देगा। तभी तो अभिषेक बच्चन के विवाह में भले ही बच्चन परिवार में उतना महिला संगीत नहीं हुआ होगा जितना बाजा तीन-चार दिन तक मीडिया ने बजाया। बिग बी मंदिर में जाएं तो वह भी खबर, ज्योतिषी से मिलें तो वह भी खबर। घर में घुसे रहें तो वह भी खबर और बाहर निकल जाएं तो वह भी खबर। कोई उन पर हमला बोले तो वह भी खबर और वे जवाबी हमला न बोलें तो वह भी खबर। और अब तो हद हो गई। एक टेलीविजन चैनल को चिंता हो गई कि बिग बी छींक क्यों रहे हैं। अरे बापरे! बिग बी को जुकाम!! यह तो बड़ी भारी ब्रेकिंग न्यूज है। आप भी देखिए चैनल के स्क्रीनशाट को।



प्रसंगवश, एक प्रमुख टीवी चैनल पर दिखाई गई एक और मजेदार ब्रेकिंग न्यूज याद आ रही है। वह कुछ इस तरह थी।

ब्रेकिंग न्यूजः संजय दत्त के घर नारियल फोड़ा गया

Monday, February 04, 2008

समारोह में आए बिना अवार्ड कैसे दे दिए?

दैनिक जागरण ने दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी उत्सव की खबर दी है और लिखा है कि आईसीसीआर के प्रमुख डॉ. कर्ण सिंह ने कल समापन समारोह के दौरान कुछ हस्तियों को अक्षरम सम्मान प्रदान किए। न जाने जागरण वालों को डॉ. साहब कहां दिखाई दे गए क्योंकि वे किन्हीं कारणों से इस समारोह में उपस्थित ही नहीं हो सके थे। फिर उन्होंने पुरस्कार कैसे प्रदान कर दिए?