Friday, January 25, 2008

कलाम साहब को रिटायर करने को तैयार नहीं रीडिफ

अंग्रेजी पोर्टल रीडिफ.कॉम बहुत प्रोफेशनल, साफ-सुथरा और तेज है। लेकिन लगता है पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ उसे ज्यादा ही लगाव है। तभी तो अपने मुखपृष्ठ के शीर्षक में रीडिफ ने डॉ. कलाम को भारत का राष्ट्रपति बताया है। हां, हम सबको उस स्थान पर उनकी अनुपस्थिति बहुत खलती है लेकिन असलियत तो यही है कि कलाम साहब अब 'पूर्व राष्ट्रपति' हो गए हैं।

Monday, January 21, 2008

उन्हें पहले से पता है हिंसा कब तक चलेगी

समाचार एजेंसी भाषा ने खबर दी है कि केन्या में कई सप्ताह से जारी हिंसा का आज अंतिम दिन है। जैसे हिंसा नहीं कोई पूर्व निर्धारित आयोजन हो। लोहा मानना पड़ेगा अपने पत्रकार साथियों का जो वास्तव में 'भविष्यदृष्टा' बन गए हैं।

Thursday, January 17, 2008

तो आईबीएन पर 'यह सब' मसाला भी मिलता है!

जो लोग 'विशेष' चित्रों और वीडियोज की तलाश में इंटरनेट पर इधर-उधर भटकते रहते हैं उनके लिए खबर है कि भारत का प्रमुख टीवी चैनल आईबीएन अपनी वेबसाइट पर वो खास सामग्री भी दिखा रहा है। जरा गूगल एडसेंस के जरिए वितरित हुए उसके विज्ञापन की बानगी और भाषा का स्तर देखिए (सौजन्यः श्री जगदीश भाटिया।) हम मीडिया वाले लोगों को आकर्षित करने के लिए किस हद तक जा सकते हैं?

Friday, January 11, 2008

विजय कुमार मल्होत्रा को डिमोट किया पंजाब केसरी ने

लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के उपनेता विजय कुमार मल्होत्रा को पंजाब केसरी ने डिमोट कर दिया है। दस जनवरी को छपी एक तसवीर में अखबार ने उन्हें दिल्ली विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का उपनेता करार दिया है। बेचारे मल्होत्रा जी। सांसद से विधायक बना दिए गए। चलो मल्होत्रा जी को एक तसल्ली तो होगी कि भले ही वे जीवन में कभी भी चुनाव लड़कर दिल्ली विधानसभा में न पहुंच पाए हों, पंजाब केसरी ने उन्हें बिना मेहनत-मशक्कत के ही वहां पहुंचा दिया है।

(मल्होत्राजी लोकसभा और राज्य सभा के सदस्य तो रहे हैं, दिल्ली विधानसभा के कभी भी नहीं। हां, एक जमाने में दिल्ली नगर निगम के प्रमुख जरूर रहे थे)।

Monday, January 07, 2008

लाजवाब है पंजाब केसरी की अभिव्यक्ति

सिडनी टेस्ट में भारतीय क्रिकेट टीम के साथ जैसा सलूक हुआ उस पर सारे अंग्रेजी-हिंदी अखबारों में खूब रोष जाहिर हुआ है। विभिन्न हिंदी अखबारों ने भारत की हार और हरभजन सिंह पर प्रतिबंध लगाने संबंधी खबर के निम्न शीर्षक दिए है-

- आस्ट्रेलिया में क्रिकेट कलंकित (जागरण)
- सिडनी टेस्ट ने किया सैड (हिन्दुस्तान)
- क्रिकेट का काला दिन (सहारा)
- सिडनी मे बेईमानी (नवभारत टाइम्स)
- अंपायरों के आगे क्रिकेट हारा (भास्कर)
- बेईमान बकनर, बेशर्म कंगारू (राजस्थान पत्रिका)
- Umpires beat India, ICC bans Bhajji (Hindustan Times)
- Umpires give OZ 2-0 lead (Times of India)
- Team India Cought Benson Bold Bucknor (Indian Express)
- Umpires defeat India (Asian Age)

मगर अपने पंजाब केसरी की अभिव्यक्ति की बात ही कुछ और है। आप खुद ही पढ़ लें-

Saturday, January 05, 2008

सरकार और संसद विच कनफ्यूज़ दैनिक हिन्दुस्तान!

दैनिक हिन्दुस्तान ने 12 दिसंबर के अंक में अपने मुख्य संपादकीय आलेख में बड़ा गोलमाल कर दिया है। लोकतंत्र के स्तंभों के दायित्वों को लेकर वह भारी कन्फ्यूजन का शिकार दिखता है। अदालतों को आत्मावलोकन की राय देते हुए अपने मुख्य संपादकीय में अखबार लिखता है-

वैसे तो कार्यपालिका का उत्तरदायित्व कानून बनाना, विधायिका का उन पर अमल करना और न्यायपालिका का कानून की व्याख्या करना है...

मुझे तो यह डेडलाइन की जल्दबाजी में की गई चूक लगती है। लेकिन मुख्य संपादकीय आलेख में!

Friday, January 04, 2008

फ़कत चालीस रुपए जुटाने को इतनी मशक्कत?

फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने बड़ी खबर दी है और उसी के हिसाब से इसे अपनी वेबसाइट पर प्रमुखता से जगह भी दी है। अखबार कहता है कि भारत सरकार का फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) जल्दी ही 40 रुपए जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करने जा रहा है। चालीस रुपए! जी हां, कम से कम शीर्षक तो यही कहता है। न सिर्फ होमपेज पर, बल्कि भीतर के पेज पर भी। क्या एफसीआई के इतने बुरे दिन आ गए हैं?

Thursday, January 03, 2008

अमां रमेश सिप्पी का फोटो क्यों लगा दिया!

राष्ट्रीय सहारा वैसे ही गलती करने वाले उपसंपादकों से सरेआम माफी नामा छपवाने के लिए जाना जाता है। अब बेचारे किसी पेज इंचार्ज से फिर बड़ी गलती हो गई है। तीन जनवरी को कॅरिअर वाले पेज में जीपी सिप्पी के देहावसान संबंधी खबर में उनके पुत्र रमेश सिप्पी का फोटो लगा दिया है। आप भी देखिए...