वाह मीडिया! हिंदी ब्लॉग Hindi Blog by Balendu Sharma Dadhich
दूसरों पर उंगली उठाने में सबसे आगे है मीडिया। सबकी नुक्ताचीनी में लगा मीडिया क्या स्वयं त्रुटिहीन है? आइए, इस हिंदी ब्लॉग के जरिए थोड़ी सी चुटकी लें, थोड़ी सी आत्मालोचना करें।
Saturday, December 03, 2011
Saturday, November 05, 2011
क्या आप कनीमोझी की 'पत्नी' से परिचित हैं?
जी हाँ, द्रमुक सांसद कनीमोझी तो खुद एक महिला हैं। लेकिन दिल्ली से प्रकाशित 'मेल टुडे' का आप क्या करेंगे जिसने बाकायदा उनकी 'पत्नी' की तसवीर छापी है! चार नवंबर को छपी इस फोटो का कैप्शन देखिए जिसमें कनीमोझी की जमानत अर्जी अदालत में नामंजूर होने के बाद उनकी 'पत्नी' की प्रतिक्रिया को दिखाया गया है। हमें तो यह कहीं से पत्नी नज़र नहीं आईं! ऊपर से तुर्रा यह कि कैप्शन में कनीमोझी की तथाकथित 'पत्नी' को CLUELESS (अनभिज्ञ) करार दिया गया है।
अब आप ही बताएँ, कौन CLUELESS है!
Tuesday, May 03, 2011
Monday, April 25, 2011
Thursday, June 10, 2010
रैंकिंग नंबर 3900
कैट, आईआईटी जेईई और सीबीएसई बोर्ड आदि में शीर्ष पर आने वाले छात्रों की तसवीरें अखबारों में खूब छपती हैं। पहली, दूसरी यहां तक कि दसवीं रैंकिंग तक लाने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों के चित्र और समाचार छपना बहुत आम है, और ऐसी प्रेरणादायक खबरें छपनी भी चाहिए। लेकिन अगर कोई अखबार 900 वीं रैंकिंग लाने वाले छात्र का चित्र छापे तो शायद आपको अटपटा लगेगा। मगर जरा ठहरिये... अगर 3900 वीं रैंकिंग लाने पर कोई राष्ट्रीय अखबार दो कॉलम का चित्र प्रकाशित करे तो उसे क्या कहेंगे? नवभारत टाइम्स ने यही किया है।
छात्र की मेहनत और उपलब्धि का अपना महत्व है। वह इसके लिए बधाई का पात्र है। लेकिन क्या एक राष्ट्रीय अखबार में फोटो छपने के लिए यह इतनी महत्वपूर्ण रैंकिंग है? यदि हां, तो इससे पहले के 3899 छात्रों ने क्या बिगाड़ा है, उनके चित्र क्यों न छपें?
Friday, May 07, 2010
प्रियभांशु के अंतिम संस्कार की खबर दे रहा मीडिया !!!
ये मीडिया भी क्या कमाल करता है। अब देखिए ना! हंगामा मचा हुआ है निरूपमा की मौत का और अब तो कोडरमा की अदालत ने पुलिस को प्रियभांशु के खिलाफ बलात्कार का केस दर्ज करने का आदेश भी दे दिया है लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं कि प्रियभांशु के अंतिम संस्कार की खबर दे दी जाए!
आप खुद ही देख लें। विश्वास न हो तो यह लिंक देख लें
http://www.khaskhabar.com/court-asks-police-to-lodge-fir-against-nirupama-boyfriend-05201007575905535.html
अब बताईए आपका क्या कहना है?
Labels: ख़ास खबर, निरूपमा, प्रियभांशु
Monday, April 12, 2010
Tuesday, March 30, 2010
सानिया मिर्ज़ा पहले सोहराब मोदी से विवाह करने वाली थी !!!!
आज अचानक ही नज़र पडी इस खबर पर, तो एकाएक हँसी छूट गई. खबर में लिखा हुआ है कि सानिया मिर्ज़ा ... सोहराब मोदी से सगाई टूटने को लेकर मीडिया में छाईं रहीं. सोहराब मोदी!! 19वीं सदी में जन्म लेने वाले फ़िल्म अभिनेता!? जबकि वास्तविकता में सगाई टूटी थी हैदराबाद के एक बेकरी श्रृंखला वाले सोहराब मिर्ज़ा से
आप स्वयम देख लीजिए नीचे दिए गए चित्र पर क्लिक कर
या फिर देख लीजिए यह लिंक
http://www.bhaskar.com/2010/03/30/shaib-happy-while-many-hearts-break.html
Monday, January 25, 2010
खबर पर एम्बार्गो, सिर्फ दूसरों के लिए
पीटीआई ने राष्ट्रपति की ओर से 25 जनवरी की शाम को दिए जाने वाले संदेश की खबर दी है (समाचार माध्यमों को संदेश की प्रति अग्रिम उपलब्ध करा दी जाती है)। खबर के साथ समाचार पत्रों को एम्बार्गो संबंधी निर्देश है कि इसे शाम सात बजे से पहले प्रसारित न करें। अलबत्ता, पीटीआई ने यही खबर खुद अपनी वेबसाइट पर साढ़े चार बजे ही चस्पा कर दी है। ध्यान रहे, यह स्क्रीनशॉट पीटीआई की न्यूज सबस्क्रिप्शन सर्विस का नहीं है। यह उनके समाचार पोर्टल का है, जो आम पाठकों के लिए उपलब्ध कराया गया है।
Monday, January 18, 2010
बाथरूम में फिसलकर मारा गया फिजी!
जी हां, पूरे के पूरे देश भी बाथरूम में फिसल जाया करते हैं। याहू के भारतीय संस्करण की यह खबर देखिए। वैसे फिजी लोकतंत्र के रास्ते पर तो बार-बार फिसलता ही रहता है, याहू बताता है कि अबकी बार वह बाथरूम में फिसल गया। अधिक दुखद यह है कि बेचारे का निधन भी हो गया- हमारे अपने बहराइच में। आप भी पढ़ें कि फिजी के साथ क्या हुआ।
Saturday, January 16, 2010
Thursday, December 24, 2009
Tuesday, October 27, 2009
Friday, October 16, 2009
ये पहली महिला राज्यपाल नहीं
दिल्ली से प्रकाशित एक शीर्ष अंग्रेजी अखबार ने त्रिपुरा की नवनियुक्त राज्यपाल श्रीमती कमला को देश की पहली महिला राज्यपाल बताया है। वह भूल गया कि खुद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल इस पद पर आने से पहले राजस्थान की राज्यपाल थीं। आज भी प्रभा राव और मार्गरेट अल्वा राज्यपाल हैं। पहली महिला राज्यपाल तो सरोजिनी नायडू (उत्तर प्रदेश) थीं।
Saturday, September 05, 2009
Wednesday, September 02, 2009
मुद्दों के भी दलाल होते हैं?
जिन्हें हिंदी भाषा या टाइपिंग नहीं आती ऐसे लोग जब हिंदी लिखने की कोशिश करते हैं तो ऐसी दुर्घटनाएं हो जाया करती हैं। एक वेबसाइट पर सर्फिंग करते समय मैंने यह विज्ञापन देखा- दलाल विदेशी मुद्ओं के। एक क्षण के लिए मुझे लगा कि किसी क्रांतिकारी किस्म के व्यक्ति ने 'विदेशी मुद्दों के दलाल' के रूप में कोई जबरदस्त पोलीटिकल स्टेटमेंट दिया है। लेकिन हकीकत कुछ और थी। विज्ञापन विदेशी मुद्रा के कारोबार से जुड़ी कंपनी का था और मुद्राओं की बजाए मुद्ओं टाइप कर दुनिया भर में पब्लिसिटी के लिए जारी कर दिया गया था। आप भी देखें-