Monday, April 28, 2008

क्या फर्जी वीज़ा भी 'एक्सपायर' होता है?

दिल्ली के मेट्रो नाऊ अखबार में भारतीय खुफिया एजेंसियों के लिए काम करने वाले कुछ अफगानियों की उपेक्षा की खबर छपी है। अखबार लिखता है कि ये लोग अफगानिस्तान में हालात बिगड़ने के बाद फर्जी वीज़ा पर भारत आ गए थे और अब वीज़ा की अवधि खत्म हो जाने के कारण परेशान हैं। बात अपनी समझ से परे है। कानूनी तौर पर हासिल किया गया वीज़ा तो एक निश्चित अवधि तक ही मान्य होता है लेकिन क्या फर्जी वीज़ा भी 'एक्सपायर' होता है?

Saturday, April 26, 2008

नवभारत टाइम्स सही या इकॉनामिक टाइम्स?

दिल्ली के बीआरटी कॉरीडोर को लेकर कई दिनों से अखबारों में खूब खबरें छप रही हैं। नवभारत टाइम्स और इकॉनामिक टाइम्स ने भी इस बारे में एक ही दिन खबर छापी लेकिन दोनों अलग-अलग बात कहती है। नभाटा का कहना है कि बीआरटी कॉरीडोर का परीक्षण बुरी तरह नाकाम रहा जबकि इकॉनामिक टाइम्स का कहना है कि उसका परीक्षण सफल रहा। दोनों एक ही दिन के अखबार, दोनों एक ही समूह के अखबार, दोनों एक ही भाषा के अखबार। उस पर तुर्रा यह कि नवभारत टाइम्स खरीदने वालों को इकॉनामिक टाइम्स (हिंदी) मुफ्त दिया जा रहा है। अब पाठक किसकी बात सही माने?

Friday, April 25, 2008

बेचारा सरबजीत! एक तरफ फांसी, दूसरी तरफ सजा-ए-मौत

समाचार एजेंसी भाषा ने महत्वपूर्ण खबर दी है कि पाकिस्तान सरकार भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की फांसी की सजा को बदल कर सजा-ए-मौत में तब्दील कर सकती है। बेचारा सरबजीत! अब अपनी सजा में होने वाले इस संभावित बदलाव को लेकर वह हँसे या रोए? शायद भाषा वाले ही बता सकते हैं कि इनमें से कौनसी सजा छोटी और कौनसी बड़ी है।


प्रसंगवश, सजा-ए-मौत की जगह आजीवन कारावास या उम्रकैद शब्द का इस्तेमाल किया जाना था।

Wednesday, April 23, 2008

तो वाहन भी हड़ताल पर जाने लगे

एनडीटीवी इंडिया पर कल रात दस बजे के समाचार बुलेटिन में खबर जा रही थी- ऑटोरिक्शा की हड़ताल खत्म। ताज्जुब है, ऑटोरिक्शा भी हड़ताल पर चले जाते हैं! हम समझते थे ऑटोरिक्शा चालक जाते होंगे, लेकिन जमाना नया है, रफ्तार नई है, तकनीक नई है... क्या पता ऑटोरिक्शा भी अपने हितों को लेकर जागरूक हो गए हों। आप भी देखें।

Saturday, April 19, 2008

जिस मैच में सचिन न खेलें वह उनका मैच कैसे हुआ?

याहू (वीडियोज) ने एएनआई की दी हुई खबर जिस तरह छापी है वह अपनी समझ से बाहर है। याहू लिखता है कि सचिन तेंदुलकर शायद अपने पहले आईपीएल मैच में नहीं खेलेंगे। अब जिस मैच में वे खेलेंगे ही नहीं, उसे उनका पहला मैच कैसे कहा जा सकता है? और अगर वे अपने पहले मैच में नहीं खेलेंगे तो क्या आईपीएल मैचों में अपने कॅरियर की शुरूआत सीधे अपने दूसरे मैच से करेंगे? लिखना शायद यह था कि संभवतः सचिन मुंबई इंडियन्स टीम के पहले मैच में नहीं खेल सकें। उनके अपने पहले मैच में तो उनका खेलना तय है, भले वह आज हो या फिर कभी। (वैसे यह खबर इसी हैडलाइन के साथ कई जगह छप गई है, एजेंसी की जो है)।

Thursday, April 17, 2008

चंद्रशेखर 'आज़ाद ' से मिलने गई थीं सोनिया गांधी?

अभी अभी प्रभासाक्षी में एक गर्मागर्म गलती हुई है। हालांकि मुश्किल से पांच मिनट ऑनलाइन रही और पेज इंचार्ज साथी ने झटपट सुधार ली। मगर थी बड़ी मजेदार गलती। प्रभासाक्षी में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर के बारे में एक लेख जा रहा है। भाई लोगों ने गलती से चित्र अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद का लगा दिया। लेख में जा रहा है कि जब स्व. चंद्रशेखर बीमार थे तो प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उनसे मिलने गए थे। आप भी देखिए-



और अब सुधार कर इस तरह कर दिया गया है-

कंपनी को मिले पूरे 221 रुपए के दो ऑर्डर

हिंदुस्तान टाइम्स ने खबर दी है कि यूनिटी इन्फ्राप्रोजेक्ट्स नामक कंपनी को दो बड़े भारी ऑर्डर मिले हैं- पूरे 221 रुपए के। वाकई ऑर्डर बहुत बड़े हैं तभी तो हिंदुस्तान टाइम्स ने बाकायदा अपने बिजनेस पेज पर इस खबर को कवर किया है। लगता है इतने बड़े-बड़े ऑर्डर मिलने के कारण ही आजकल इन्फ्रास्ट्रक्चर और रियलटी क्षेत्र का खस्ता हाल है।

Tuesday, April 15, 2008

ये कौनसी ट्रेन चला रहे हैं भारत-बांग्लादेश के बीच

हिंदी पोर्टल जोश-18 ने भारत और बांग्लादेश के बीच मैत्री एक्सप्रेस ट्रेन सेवा शुरू होने के बारे में खबर दी है और न जाने कहां से बड़ी खूबसूरत, पश्चिमी किस्म की ट्रेन का चित्र ले आया है। यह वास्तव में किस ट्रेन का चित्र है यह तो जोश वाले ही बता सकते हैं या फिर यूएनआई वाले, जिन्हें चित्र का क्रेडिट दिया गया है।



वैसे असली मैत्री एक्सप्रेस ये है- वही भारी-भरकम हिंदुस्तानी रेलगाड़ी।

Saturday, April 12, 2008

क्या साइबर लाइब्रेरी ऐसी होती है?

एक दैनिक अखबार में देश की पहली साइबर लाइब्रेरी के बारे में खबर छपी है जिसमें पचास हजार से ज्यादा ई-बुक्स डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं। लेकिन चित्र लगाया गया है किताबों की लाइब्रेरी का। अब इस तरह की 'साइबर लाइब्रेरी' से अगर डाउनलोड करना हो तो कैसे करेंगे?

Wednesday, April 09, 2008

बात आई 1-2-3 की तो संपादकजी 9-2-11

दिल्ली से प्रकाशित एक नए (दैनिक नहीं) अखबार का संपादकीय पढ़ने लायक है। संपादकजी ने परमाणु करार पर अपने अखबार का मुख्य संपादकीय लिखा है और वह भी पहले पन्ने पर। लेकिन बेचारे एटमी करार, आईएईए और 123 करार जैसे शब्दों को लेकर कनफ्यूज ही नहीं बहुत दुखी, चिंतित और परेशान भी हैं। इतना ही नहीं, उन्हें इन शब्दों के पीछे किसी तरह की साजिश की भी गंध आ रही है। उनकी निगाह में परमाणु करार से संबंधित सबसे चिंताजनक बात शायद यह है कि "सरकार आम लोगों को इन शब्दों के अर्थ नहीं बताना चाहती।" अमां संपादकजी, इतने परेशान होने की क्या जरूरत है? इंटरनेट पर आईएईए और 123 एग्रीमेंट लिख डालो और लो जान लो जितना कुछ जानना चाहते हो। आपको इन शब्दों के अर्थ जानने से भला किसने रोका है, सिवा आपके स्वयं के? और हां, इतने 'जटिल मुद्दे' पर संपादकीय लिखने की भला कौनसी मजबूरी आन पड़ी थी?

Tuesday, April 08, 2008

लालू ने राष्ट्रीय जनता दल कब छोड़ा?

दिल्ली से प्रकाशित एक दैनिक अखबार ने मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल की खबर छापी है। लेकिन पत्रकार महोदय शायद काम के दबाव या जल्दबाजी में लालू प्रसाद यादव की पार्टी का नाम ही भूल गए। अब कहीं अजित सिंह की नजर पड़ गई तो बड़ा झमेला हो जाएगा। वो बेचारे वैसे ही टिकैत प्रकरण की उदासी से उबर नहीं पाए हैं और अगर लालू ने उनकी पार्टी कब्जा ली तो बड़ा अनर्थ हो जाएगा। आप भी देखिए-